नई दिल्ली: आज 8 अक्टूबर को देश की अलग-अलग जगहों में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है, लेकिन देश में आज भी कई जगहों पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता बल्कि रावण की विशेष पूजा की जाती है।
बता दें कि मध्य प्रदेश के विदिशा इलाके में एक गांव ऐसा है जहां पर दशहरे के मौके रावण की विशेष पूजा की जाती है। इस गांव का नाम ही रावण है और इस गांव में रहने वाले लोग अपने वाहनों के पीछे जय लंकेश लिखवाते हैं। पुराने समय से चली आ रही रावण की पूजा को आज भी गांव के लोग पूरी श्रद्धा के साथ कर रहे हैं। इस गांव के लोग अन्य देवी-देवताओं की तहर ही रावण की भी पूजा करते हैं और रावण बाबा के नाम के एक मंदिर भी बना हुआ है। कोई भी शुभ काम करने से पहले लोग रावण की पूजा करते हैं और स्थानीय लोगों का यह मानना है कि शुभ काम करने से पहले यदि रावण की पूजा नहीं की जाती तो कुछ न कुछ बुरा जरूर होता है। दशहरे वाले दिन रावण बाबा मंदिर में रावण की पूजा करने के बाद लोगों के लिए भंडारा भी करवाया जाता है।
इसके साथ-साथ भारत में कई अन्य स्थान भी ऐसे हैं जहां रावण की पूजा की जाती है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में रावण का एक मंदिर है जहां रावण की पूजा की जाती है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले बैजनाथ में भी रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता। बैजनाथ में रावण का एक मंदिर भी है और यहां के लोग यह मानते हैं कि यदि बैजनाथ में रावण के पुतले का दहन किया गया तो यहां पर पुतले को आग लगाने वाले की मौत हो जाएगी। राजस्थान के जोधपुर शहर में भी रावण का एक मंदिर बनाया गया है। लोग यह मानते हैं कि जोधपुर में रावण का ससुराल था और रावण की मौत के बाद रावण के वंशज यहां आ गए थे।