नई दिल्ली: मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर पेड़ों की कटाई के विरोध का मामला सामने आया है जहां 2500 से अधिक पेड़ों की कटाई के विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच का गठन भी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।
बता दें कि रविवार सुबह ही लॉ स्टूडेंट्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को पत्र लिखकर मामले पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया था जिसमें पिछले कई दिनों से पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता मेट्रो शेड के लिए पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं।
जानकारी दें कि 4 मार्च 1951 को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पौधारोपण करने के साथ आरे कॉलोनी की नींव रखी थी। पेड़ों से ढका यह इलाका 3166 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस इलाके को मुंबई के फेफड़ा के नाम से भी जाना जाता रहा है। सरकार की तरफ से पेश हुए वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरे कॉलोनी का एरिया 3000 एकड़ है। सिर्फ 2% लिया गया है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर पेड़ नहीं कट सकते थे तो नहीं कटने चाहिए।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पेड़ों को काटने की नीति के तहत एक पेड़ काटने पर 5 पौधे लगाने चाहिए। इसके परिणाम सामने आए हैं। पिछले चार साल में देश में 15000 वर्ग किमी हरित क्षेत्र बढ़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए कई प्रयासों से इस साल 30 सितंबर तक दिल्ली में 270 दिन में 165 दिन वायु गुणवत्ता का स्तर अच्छा पाया गया।