चंडीगढ़: 21 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बचें हैं। चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। जींद जिले के उच्चाना कलां विधानसभा सीट से दो जाट परिवार लगातार पांचवीं बार एक-दूसरे के सामने हैं।
बता दें कि हरियाणा की उच्चाना कलां विधानसभा सीट से जाट छोटू राम के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी 59 वर्षीय प्रेमलता भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही है जबकि देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के जाट देवी लाल का परपोता 31 वर्षीय दुष्यंत चौटाला जेजेपी की टिकट पर चुनाव मैदान में है। प्रेमलता उच्चाना कलां से भाजपा की मौजूदा विधायक है और दुष्यंत ने इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर अपनी जननायक जनता पार्टी बनाई है।
साल 2014 के विधानसभा चुनाव में उच्चाना कलां सीट से प्रेमलता ने दुष्यंत चौटाला को 7480 मतों के अंतर से हरा दिया था। उस समय दुष्यंत इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़े थे। 1977 के बाद से प्रेमलता के पति बीरेंद्र सिंह ने पांच बार उच्चाना कलां सीट से विधानसभा पहुंचे हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी प्रेमलता के बेटे बिजेंद्र सिंह ने दुष्यंत चौटाला को हरा दिया था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ विवाद होने के बाद बीरेंद्र सिंह साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।
साल 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने उच्चाना कलां सीट पर बीरेंद्र सिंह को 621 मतों से हरा दिया था। 2005 में बीर्रेंद्र सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की थी। इसी तरह साल 2000 में इनेलो की टिकट से लड़ते हुए भाग सिंह ने कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह को हरा दिया था।
उच्चाना कलां के एक गांव डहोला की एक महिला चत्रो देवी ने बताया कि दुष्यंत चौटाला का दादा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा के युवकों को नौकरियां दी हैं और यह युवक अब अच्छी जिंदगी व्यतीत कर रहें हैं। चाहे दुष्यंत चौटाला ने अपनी अलग पार्टी बना ली है, लेकिन उनमें खून तो चौटाला परिवार का ही है और इस परिवार ने उच्चाना कलां के लिए बहुत काम किया है। गांव के ही मोहन नेहरा ने बताया कि इलाके का विकास करवाने के बावजूद प्रेमलता को लेकर लोगों में उनके प्रति नाराजगी है क्योंकि पार्टी ने नियमों की उल्लंघना करके उन्हें फिर से नामजद किया है। मोहन ने कहा कि यदि राव इंद्रजीत सिंह जैसे नेता के परिवारिक सदस्य को टिकट नहीं दी गई है तो बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को टिकट क्यों दी गई है।