पांवटा साहिब (भीम सिंह): काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता। अगर कड़ी मेहनत, लगन, सतत प्रयास हो तो किसी भी कार्य को किया जा सकता है। ऐसा ही पांवटा साहिब के ग्रामीण क्षेत्र में देखने को मिला जहां सीता राम नामक युवक ने अपना पुश्तैनी काम लोहे को बनाने का अभी भी जारी रखा हुआ हैं।
सीता राम बताया कि यह काम उनके दादा-परदादा से चला आ रहा है जिसे परिवार का एक या दो व्यक्ति आज भी कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस कार्य को करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। लोहे को कई आयामों में ढालने के लिए काफी मेहनत की आवश्यकता होती है।
संसाधनों की कमी के कारण लोहे बनाने का कार्य एकाएक कहीं बाधित तो हुआ है, परंतु अपनी आवश्यकता के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े लोग आज भी इसे कर रहे हैं। अधिक मात्रा में लोहे से बने औजारों को मेले-दुकानों में बेचते हैं जिससे उनकी आजीविका का साधन बन जाता है।
गौरतलब है कि लोहे के इन औजार की मांग आज की क्षेत्र में जस की तस बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग लोहे से बने औजार को खेती के कार्य मे इस्तेमाल करते हैं। लोहे से तैयार किए हुए औजार जिसमें दरात, कसी गेंती व अन्य आदि औजार किसानों के दिनचर्या में उपयोग में लाए जाते हैं, लेकिन इस युग मे लोहे के औजार बनाने वाले कारीगर विलुप्त हो गए हैं।