हरियाणा डेस्क: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक 5 जून को होने जा रही है। इस बैठक में अलग अलग राज्यों के पानी के मामले को लेकर मंथन किया जाएगा और खास बात ये है कि हरियाणा और पंजाब के सीएम एक बार फिर एसवाईएल के मसले पर आमने-सामने होंगे। जिसमें अब देखना यह होगा कि क्या इस बैठक में SYL का होगा समाधान? बता दें कि इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शिरकत करेंगे और प्रदेश हित से जुड़े मुद्दों को रखेंगे। इसी के साथ ही 5 जून को होने वाली बैठक में हरियाणा के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे।
इस विकल्प में जुटा हरियाणा
पंजाब के साथ एसवाईएल के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा और पंजाब के सीएम भी बैठक कर चुके हैं। लेकिन पंजाब कह चुका है कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए एक भी बूंद पानी नहीं है। ऐसे में इस मसले का कानूनी हल भी निकलता दिखाई नहीं दे रहा है। इस मुद्दे के समाधान के लिए हरियाणा हिमाचल प्रदेश की मदद से एसवाईएल नहर का पानी लाने का विकल्प तैयार करने में जुटा है। बताया जा रहा है कि इस नए विकल्प पर नहर का रास्ता 67 किलोमीटर का बनेगा। माना जा रहा है कि नहर के इस विकल्प पर 4200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस मामले में बात सिर्फ हिमाचल प्रदेश के मुनाफे को लेकर अटकी हुई है। इस सबके बीच हरियाणा के एसवाईएल के नए रूट के विचार पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है। हरियाणा के पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं कि ये मामले को उलझाने वाली बात है। जब सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला दे रखा है, तो उसे लागू करना चाहिए। भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि देश और प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। उन्हें कोर्ट के फैसले को लागू करवाना चाहिए। नहीं तो इस मामले में पंजाब के खिलाफ कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का मामला दर्ज करना चाहिए।
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कंवरपाल गुर्जर ने कही ये बात
इधर नेता प्रतिपक्ष के इस बयान पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि लंबे वक्त तक प्रदेश में हुड्डा की सरकार थी, वो कहते हैं कि उनके दस साल के कार्यकाल में ऐसे आदेश नहीं आए। जैसे हमारी सरकार के प्रयास से आए हैं। वर्तमान सरकार इस मामले में गंभीरता के साथ प्रयास कर रही है और निश्चित्तौर पर हम अपने हिस्से का पानी लेंगे। तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं की बात करें तो पंजाब के नेताओं कहना है कि हरियाणा का पंजाब के पानी पर कोई हक नहीं है। बहरहाल अब देखना ये होगा कि क्या एसवाईएल के मसले पर कोई समाधान होगा या नहीं ? या फिर से इस मामलें में तारीक पर तारीक मिलती जाएगी ?