हिमाचल डेस्क– हिमाचल में मानसून के शुरू होते ही भारी बारिश के कारण बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. भारी वर्षा के कारण बहुत से लोग बेघर तक हो जाते हैं. यहां तक की पहाड़ी इलाका होने के कारण प्रदेश का कुछ हिस्सा आपदा से घिरा रहता है. हिमाचल के धर्मशाला का इलाका जोखिमों से कम नहीं है. बता दें कि कांगड़ा जिला भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आता है इसके साथ ही भूस्खलन के कारण भी हर वर्षों लाखों का नुक्सान झेलना पड़ता है. उपायुक्त कांगड़ा डा. निपुण जिंदल ने कहा कि भूस्खलन तथा भूकंप की अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित होने से नुक्सान को काफी हद तक कम किया जा सकता है इसी को ध्यान में रखते हुए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी जिला मंडी के वैज्ञानिकों के साथ एक एमओयू साइन किया गया है.
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अर्ली वार्निंग सिस्टम होगा स्थापित-
बता दें कि धर्मशाला के कोतवाली बाजार के नजदीक टावर चार के पास भूस्खलन तथा भूकंप की अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा. इसके लिए आईआईटी मंडी की टीम ने उपरोक्त स्थल का निरीक्षण भी किया है. कांगड़ा जिला के दस विभिन्न जगहों पर आधुनिक तकनीक से लैस अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने पर भी सहमति बनी है इसके साथ ही विभिन्न जगहों में चेतावनी के लिए हूटर तथा ब्लींकर्स भी स्थापित करने के लिए एमओयू साइन किया गया है. उन्होंने कहा कि अर्ली वार्निंग के टेक्स्ट मैसेज की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है ताकि समय रहते लोगों तक सूचना पहुंच सके.
खोज के लिए उपयोग-
साथ ही उन्होंने कहा कि आईआईटी मंडी के वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट के तहत भूस्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं के डाटा का खोज के लिए भी उपयोग कर सकते हैं ताकि प्राकृतिक आपदाओं से आम जनमानस के बचाव के लिए भविष्य में बेहतर कार्य किया जा सके. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की फंडिंग आपदा मैनेजमेंट अथॉरिटी के माध्यम से की जा रही है इस के लिए समय भी निर्धारित किया गया है.