इंटरनेशनल डेस्क- आज से 100 दिन पहले 24 फरवरी को NATO मेंबरशिप को लेकर रूस-यूक्रेन में तनाव इस कदर भड़का कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने जंग का आगाज कर दिया। तब से इन बीते 100 दिनों में यूक्रेन की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। कभी चमक धमक और रोशनी से सटे रहने वाले यूक्रेनी शहर आज खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। युद्ध की इस तपिश ने पूर्वी यूरोप के बाहर दुनिया के दूसरे देशों को भी कई परेशानी में डाला है, इनमें भारत भी शुमार है।
आज हम आपको बताते हैं कि बीते 100 दिनों में किस तरह इस युद्ध वजह की वजह रूस-यूक्रेन के साथ भारत को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले भारत की बात करें तो जंग शुरू होने के बाद तीन महीने के भीतर ही फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने इंडियन मार्केट से 1 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए, जबकि इससे पहले पिछले 9 महीने में कुल 50 हजार करोड़ रुपए ही निकाले गए थे। भारत सहित दुनिया भर के सभी उभरते हुए बाजारों को महंगाई की वजह से मौद्रिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
इस युद्ध की वजह से रुपए को भी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट का सामना करना पड़ा। भारत में सालाना महंगाई दर अप्रैल 2022 में बढ़कर 7.8% हो गई, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। 31 मई को वनस्पति तेल की कीमत पिछले साल के मुकाबले 26.6% बढ़ गई, जबकि गेहूं की कीमत में 14.3% उछाल आया। इसके अलावा दुनिया भर के 45 देश गंभीर खाद्य संकट के मुहाने पर पहुंच चुके हैं।
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4,800 से ज्यादा रूसी नागरिकों पर बैन
रूसी हमले की वजह से यूक्रेन के 68 लाख लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो उसकी आबादी का लगभग 15% है। यानी, हर 6 में से एक यूक्रेनी को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। दूसरी तरफ 80 लाख लोग यूक्रेन में आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं, जिस वजह से एक बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो गया। यह संकट इतना विकराल है कि यूक्रेन में हर गुजरते सेकेंड के साथ एक बच्चा युद्ध शरणार्थी बन रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद से रूस पर 5,831 प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके अलावा 4,800 से ज्यादा रूसी नागरिकों पर बैन लगाया गया है और 562 इंस्टीट्यूशन और 458 कंपनियों को प्रतिबंध के दायरे में रखा गया है। कुल मिलाकर, 2014 से अब तक रूस पर 10,159 प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।