लाइफस्टाइल डेस्क: इक्कीसवीं सदी में जैसे-जैसे तकनीक ने तरर्क्की कर नए-नए उपकरणों को जन्म दिया है, वैसे-वैसे दुनिया भर में इनके नकरात्मक प्रभाव भी दखने को मिले हैं। भले ही इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का आविष्कार आम लोगों के इस्तेमाल के लिए किया गया हैं, लेकिन अब इनके नुक्सान इनके फायदे से ज़्यादा देखने को मिल रहे हैं। एडिक्शन यानिकि किसी चीज़ की लत लगना। यह लत चाहे किसी भी चीज़ की हो इंसान को बर्बाद करती है। बता दें कि आजकल के ज़माने में फ़ोन एडिक्शन एक बड़ी समस्या बना हुआ है। 20 की आयु से अधिक लोग तो इसका इस्तेमाल करते ही हैं लेकिन अब एक साल के बच्चों में भी फ़ोन का इस्तेमाल ज़्यादा देखने को मिलता है। इसके पीछे की वजह माता-पिता हैं, जो कुछ देर बच्चों से छुटकारा पाने के लिए उन्हें ऐसी इलक्ट्रोनिक चीज़ें थमा देते हैं। जिससे बच्चा शाँत हो जात्ता है, लेकिन इससे जुड़े नुख्सान या बिमारियों से वह अवगत नहीं हैं।
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इलक्ट्रोनिक डिवाइस से हो सकता है वर्चुअल ऑटिज्म
एक साल की आयु से लेके तीन साल की आयु के बच्चे जब इलेक्ट्रॉनिक गॅडजेट्स का इस्तेमाल ज़्यादा करने लगते हैं तो उनमें वर्चुअल ऑटिज्म जैसी बीमारी देखने को मिल सकती हैं। बता दें कि वर्चुअल ऑटिज्म एक ऐसी संगीन बीमारी हैं जो दिखाई नहीं देती लेकिन इसका प्रभाव बेहद नुख्सान्दायक है। यह पाँच साल से कम उम्र के बच्चे में दिखाई देत्ते हैं। स्मार्ट फ़ोन, लैपटॉप या टेलीविज़न जैसी इलक्ट्रोनिक गॅडजेट्स के इस्तेमाल से बच्चों में बोलने में दिक्क्त व समाज में लोगों से बातचीत करने में परेशानी महसूस होती है। वर्चुअल ऑटिज्म में बच्चे दसूरों से बात करने में कतराते हैं, आई-कॉन्टैक्ट नहीं बना पाते, आईक्यू भी कम होता है। बता दें कि अपने बच्चों को ऐसी बीमारी से बचाने के लिए माँ-बाप को भी इन चीज़ों से दूरी बनानी चाहिए।